आर्मेचर रिएक्शन क्या होता है
आर्मेचर प्रतिक्रिया मुख्य ध्रुव से उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स व आर्मेचर के चालकों में उत्पन्न फ्लक्स के परस्पर विरोध के परिणाम को आर्मेचर प्रतिक्रिया कहते हैं|
प्रति चुंबकीय प्रभाव क्या होता है
जब आर्मेचर चालकों मे से कम भार धारा गुजर रही होती है तो आर्मेचर के चालक द्वारा उत्पन्न EMF मुख्य फील्ड फ्लक्स के साथ इस प्रकार की प्रतिक्रिया करता है कि मुख्य फील्ड क्षेत्र अपनी स्थिति बदल लेता है ऐसे प्रति चुंबकीय प्रभाव कहते हैं
इस स्थिति को जनरेटर मे लगे ब्रुशों को आर्मेचर के घूमने की दिशा में आगे बढ़ाकर सही किया जा सकता है जब जेनरेटर को ओवरलोड करते हैं अर्थात अतिभार करते हैं तो ध्रुव के सिरे संतृप्त हो जाते हैं और मुख्य चुंबकीय फ्लक्स जो मुख्य ध्रुव से बना होता है उसे अचुंबकीय करते हैं इससे उत्पन्न EMF कम हो जाता है
डीसी मशीन में GNA MNA
- GNA Full Form : Geometrical Neutral Axis (ज्यामिति उदासीन अक्ष)
- MNA Full Form : Magnetic Neutral Axis (चुंबकीय उदासीन अक्ष)
चित्र संख्या एक में मुख्य क्षेत्र से फ्लक्स वितरण को दिखाया गया है अभी आर्मेचर चालकों में धारा नहीं है फ्लक्स समरूप है GNA व MNA एक ही लाइन पर हैं चित्र दूसरे में नियोजित चुंबकीय फ्लक्स दिखाया गया है (N)उत्तर ध्रुव के अधीन धारा दिशा को (+) चिन्ह एवं दक्षिणी ध्रुव के अधीन धारा को (.) से दर्शाया गया है आर्मेचर की चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता, आर्मेचर धारा पर निर्भर करती है|
प्रति चुंबकन प्रभाव
तीसरे चित्र में मुख्य चुंबकीय क्षेत्र एवं आर्मेचर के मैग्नेटिक मोटिव फोर्स के संयुक्त प्रभाव के फलस्वरूप वितरण को दर्शाया गया है विमुख ध्रुव परिणाम में क्षेत्र वर्धित हो गया है प्राप्त होता है और शिरो पर ध्रुव क्षेत्र कमजोर हो जाता है और चुंबकीय प्रभाव के कारण MNA – GNA से आर्मेचर के घूमने की दिशा में कोण Q के अनुसार विस्थापित हो जाता है अर्थात GNA से MNA आगे हो जाता है क्योंकि मुख्य प्लक्स के बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है|
तीसरे चित्र में सदिशों द्वारा मुख्य पर इनफ्लक्स (FF) और आर्मेचर फ्लक्स (FA) का आपसी प्रभाव दर्शाया गया है चुंबकीय उदासीन अक्ष परिणामित फ्लक्स F के लंबवत होना चाहिए|
आर्मेचर रिएक्शन के प्रभाव को कैसे कम करे
आर्मेचर रिएक्शन को कम करने के लिए हम निम्न विधि को अपना सकते हैं आइए समझते हैं
- आर्मेचर रिएक्शन के कारण कमयुटेटर पर स्पार्किंग होती है इस इस स्पार्किंग को कम करने हेतु कार्बन ब्रुशों को MNA की नई स्थिति तक आर्मेचर के घूमने की दिशा में घूम आना जरूरी है
- आर्मेचर रिएक्शन से मुख्य फील्ड कमजोर होता है अतः फील्ड वाइंडिंग की टर्न बढ़ाकर इस प्रभाव को कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है
- जनरेटर के फील्ड ध्रुव की कोर पर चुंबकीय फ्लक्स के लिए रिलक्टेंस बढ़ाई जाती है
- मुख्य ध्रुव की कोर में ध्रुव के शू बढ़ा दिया जाता है इसे ध्रुवो की स्टैगरिंग कहते हैं
- अधिक किलो वाट के जेनेरेटरो में अधिक आउटपुट होता है जनरेटर की लोड धारा लगातार बदलती रहती है अतः आर्मेचर रिएक्शन के प्रभाव भी कम अधिक होता रहता है इस प्रकार के जनरेटर किए ध्रुव शू पर कंपनसेटिंग वाइंडिंग कर दी जाती है इस वाइंडिंग में धारा की दिशा आर्मेचर के चालकों की दिशा के विपरीत रखी जाती है तथा इसे आर्मेचर के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है कंपाउंड जनरेटर में इसके कनेक्शन आर्मेचर तथा सीरीज फील्ड वाइंडिंग के मध्य किए जाते हैं आर्मेचर रिएक्शन पर नियंत्रण रखने हेतु यह एक उत्तम विधि है
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