विद्युत धारा के निरंतर प्रवाह के लिए मार्ग प्रस्तुत करने वाला गोल आकार का सेक्शन वाला बिना आवरण का चालक अथवा आवरण युक्त इंसुलेटर चालक तार कहलाता है अथवा कोई भी चालक जो पूरी लंबाई के समान व्यास रखा व्यास वाला हो तथा का क्षेत्रफल गोल हो उसे तार कहते हैं इन पर इंसुलेशन बाद में चढ़ाया जाता है इन्हें नंगा तार कहते हैं जैसे जी आई तार, अर्थ तार, ओवरहेड लाइन में प्रयोग की जाने वाली तार, SE तार व कार्टन चढ़ी तार ,इंसुलेटेड तार कहलाते हैं पी.वी.सी चढ़े तार पी.वी.सी तार कहलाते है|
लचीला तार
यह तार अस्थाई वायरिंग में काम आते हैं इनमें पी.वी.सी कवर के नीचे तांबे की कई अधिक गेज की तारे होती हैं विद्युत संस्थापन में ये 250 V तक प्रयोग में लाए जाते हैं इनका उपयोग छत के पंखे को लटकाने वाले लैंप होल्डरो के संयोजन के लिए किया जाता है इन पर पी.वी.सी का इंसुलेशन चढ़ाया जाता है
पी.वी.सी तार
पी.वी.सी का पूरा नाम “पाली विनाइल क्लोराइड” है वर्तमान में यह तार वायरिंग में प्रमुखता से काम आ रहे हैं यह पीवीसी तार घरों में व उद्योगों में अलग-अलग साइज के काम आते हैं यह 2 मिलीमीटर 4 मिलीमीटर 6 मिलीमीटर व 3/20, 3/22, 7/20, 7/22 साइज में आते हैं विद्युत संस्थापन में यह 250 वोट से 1100V तक प्रयोग में लाए जाते हैं
वी.आई.आर (वल्केनाइज्ड इंडिया रबर) तार
वी.आई.आर का पूरा नाम वल्केनाइज्ड इंडिया रबर है इस तार का प्रयोग वायरिंग में किया जाता है इसका इंसुलेशन भारतीय रबड़ से किया जाता है विद्युत संस्थापन में यह 250 से 1100 वोल्ट तक प्रयोग में लाए जाते हैं
लैड शीथ्ड तार
इन तारों के ऊपर लेड का कवर चढ़ा होता है नमी एवं अम्लों का असर इन पर नहीं होता है यह मुख्यतः बर्फीले इलाकों वर्षा वाले स्थान पर प्रयोग में आते हैं विद्युत संस्थापन में यह 250 वोल्ट से 650 वोल्ट का तक प्रयोग में लाए जाते हैं इसका विद्युत रोधक सी.टी.एस तारों के समान होता है
सी.टी.एस या टी.आर.एस तार
इसका पूरा नाम चीमड़ रबड़ कोषित तार (टफ रबर शीथेड़ ) है इसमें लचीली रबड़ को विद्युत रोधन के रूप में चढ़ाया जाता है विद्युत संस्थापन में यह 250 वोल्टता तक प्रयोग में लाए जाते हैं इनका उपयोग बैटन तथा कंडक्ट वायरिंग में किया जाता है इनका इंसुलेशन लचीली रबड़ के ऊपर चीमड़ रबड़ चढ़ाकर किया जाता है
ऋतु सह तार
इन तारों के निर्माण में नग्न या एलमुनियम तार पर वी आई आर तार के समान विद्युत रोधक चढ़ाया जाता है इसके बाद सूती टेप को, वाटरप्रूफ मिश्रण को रबड़ विद्युत रोधक पर लगाकर लपेटा जाता है अंत में ऊपर से मोम की परत चढ़ा दी जाती है विद्युत संस्थापन में यह 250 वोल्ट तक प्रयोग में लाए जाते हैं इनका उपयोग खुले वातावरण में अस्थाई विद्युत लाइन के रूप में किया जाता है
विद्युत कार्यों में प्रयुक्त तार
तांबे का तार
तांबे से बने तार दो प्रकार के होते हैं
1. कठोर तांबा तार
2. नरम तांबा तार
कठोर तांबे से ओवरहेड लाइन तार एवं अर्थिंग तार जबकि नरम तांबे से वायरिंग तार व वाइंडिंग तार बनाया जाता है
एलुमिनियम तार
यह घरों की वायरिंग में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है या तांबे की अपेक्षा सस्ती होती है यह तार ट्रांसमिशन में ओवरहेड लाइन में बहुत अधिक उपयोग किए जाते हैं यह वजन में हल्के होते हैं इन्हें नरम होने के कारण स्टैंडर्ड किया जा सकता है इसके जोड़े के थिंबल को क्रिंपिंग टूल से लगाते हैं
लोहे की तार
इनमें प्रतिरोध बहुत अधिक होता है इनका उपयोग रेलवे, टेलीफोन लाइन में अधिक करते हैं
गेल्वोनाइज तार (जी.आई तार)
लोहे की तारे यदि गेल्वोनाइज की हुई हो तो इन्हें अर्थिंग तार के रूप में प्रयोग में लेते हैं 8 स्टैंडर्ड वायर गेज व 19 स्टैंडर्ड वायर गेज की तारें अधिक प्रयोग में आती है
वाइंडिंग तार
एनिल्ड किया हुआ तांबे का चालक समानता: आकार में गोल व लंबाई लिए होता है ये निम्न प्रकार के होते हैं
१. सुपर इनेमल तांबा तार
२. सूत से चढ़ा एक परत का धागा तार
३. दोहरा सूत आवणीत तार
४ एकल सिल्क आवणीत ताम्बा तार
५. दोहरा सिल्क आवणीत ताम्बा तार
६. पी.वी.सी आवणीत ताम्बा तार या पीवीसी ताम्बा तार
कुछ डी.सी मशीनों की वाइंडिंग डी.सी.सी व डी.एस.सी तार प्रयोग में आते हैं समर्सिबल मोटर में पी.वी.सी चढ़ा तांबा तार काम में आता है थ्री फेज मोटर व ट्रांसफार्मर में अन्य वाइंडिंग में सुपर इनेमल तार काम में आता है
स्ट्रैंडेड तार
स्ट्रेन्डेड तार एक साथ कई (3,7 तारो) तारो को रस्सी की तरह लपेट दिया जाए तो यह स्ट्रैंडेड तार’कहलाते हैं शिरोपरी लाइन में स्ट्रैंडेड तार लगे होते हैं यह लचकदार वह यांत्रिक मजबूत हो जाते हैं
यूरेका तार
60% तांबा तथा 40% निकिल धातुओं से तैयार किए गए मिश्र धातु से बनाया गया नंगा तार यूरेका तार कहलाता है यह तार रहोस्टेटे एवं स्टार्टर में प्रयोग में आते हैं
नाइक्रोम तार
80% निकेल तथा 20% क्रोमियम धातुओं से तैयार किए गए मिश्र धातु से बनाया गया नंगा तार नाइक्रोम तार कहलाता है नाइक्रोम तार का उपयोग हीटिंग एलिमेंट बनाने में होता है या 1150 डिग्री सेंटीग्रेड पर सुरक्षित ढंग से कार्य कर सकता है 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर 110 माइक्रो ओम पर सेंटीमीटर विशेष प्रतिरोध होता है
कैंथल तार
इन तारों का प्रयोग चीनी मिट्टी के विभिन्न विभिन्न कार्यों में वह बड़ी-बड़ी भट्टियों में स्टील को गर्म करने में काम आता है 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर विशिष्ट प्रतिरोध 135 माइक्रो ओम प्रति सेंटीमीटर है
तारों की धारा वहन क्षमता
सामान्यतः तापमान ( 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर) विद्युत धारा का अधिकतम मान जो किसी तार में से सुरक्षित रूप से प्रभावित हो सके उस तार की विद्युत धारा वहन क्षमता कहलाती है
तार की मोटाई जितनी अधिक होती है उसकी धारा वहन छमता उतनी ही अधिक होती है अतः किसी तार की विद्युत धारा बनता उस तार के धातुओं के विशिष्ट प्रतिरोध और उसके व्यास तथा स्टैंडर्ड की संख्या पर निर्भर करती है किसी तार के लिए विद्युत धारा का वह न्यूनतम मान जिस पर वह तार पिघल कर टूट जाता है फ्यूजिंग विद्युत धारा के मान को दर्शाता है तार की मोटाई जितनी अधिक होती है उसकी फ्यूजिंग विद्युत धारा का मान कितना अधिक होता है
तार की विशिष्टता
विशिष्टता का तात्पर्य किसी तार में प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता के संबंध में व्याख्या से है ताकि सामग्री की का भली-भांति निरीक्षण करके सही स्थान पर प्रयोग कर सकें विद्युत तार की विशिष्टता से तात्पर्य उसके इंसुलेशन आकार कोर की संख्या तथा कंडक्टर सामग्री से है इनके द्वारा तार की धारा तथा वोल्टेज सहन करने की क्षमता ज्ञात की जाती है सामान्यता तांबे या एलमुनियम के तार प्रयुक्त होते हैं जो सिंगल स्टैंडर्ड या मल्टी स्टैंडर्ड के हो सकते हैं यह तार विभिन्न विभिन्न व्यास तथा कोर की संख्या या स्टैंडर्ड में हो सकते हैं जैसे वीआईआर चालक को 1/20, 3/22, 7/20 आदि साइज में स्पेसिफाई किया जाता है जिसमें अंश स्टैण्डर्ड की संख्या को दर्शाता है जबकि हर तार के व्यास को दर्शाता है
घरेलू वायरिंग में – लाइटिंग हेतु 3/20 तांबे के तार
हिटिंग हेतु 7/20 तांबे की तार
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