वैश्विक ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) क्या है इसके क्या नुकसान है और यह किस तरह से फैल रहा है इसको रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं किस प्रकार से ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण पा सकते हैं और यदि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है तो इसका हमारे ऊपर और हमारे पृथ्वी को पर क्या प्रभाव पड़ेगा आइए विस्तार से जानते हैं लेकिन सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग होता क्या है चलिए यह समझते हैं|
वैश्विक ताप वृद्धि (Global Warming) क्या है|
औद्योगिकीकरण की बढ़ती प्रक्रिया के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ी है जिसने हरित गृह प्रभाव को जन्म दिया है पृथ्वी पर पाए जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से धरती की सतह से परावर्तित किरने द्वारा उत्सर्जित होने वाली तापीय उर्जा को वायुमंडल से बाहर जाने से रोकती हैं इस प्रकार तापीय ऊर्जा के वायुमंडल में सांद्रण से धरती के औसत तापमान में वृद्धि होती है जिसे विश्वव्यापी तापन ग्लोबल वार्मिंग कहते है
अप्रैल 2000 में इंटर गवर्नमेंट पैनल आफ क्लाइमेटिक चैलेंज (IPCC) ने आशंका जताई थी कि अगले 100 वर्षों के दौरान पृथ्वी के औसत तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है|
पर्यावरणविदों का अनुमान है कि सन 2080 तक भारत में तापमान में करीब 7% की बढ़ोतरी हो जाएगी जिससे वर्षा कम होगी और खाद्दान उत्पादन में कमी आएगी एक चित्र के द्वारा इसको समझते हैं की विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जित होने वाली ग्रीन हाउस गैसों के बारे में बताया गया है|
वैश्विक ताप वृद्धि के कारण
वैश्विक ताप बढ़ने के निम्नलिखित कारण है
- वाहनों से निकलने वाला ज्यादा धुँवा बर्फ पिघलने का एक कारक हो सकता है वैज्ञानिक के अनुसार यह धुँवा पृथ्वी पर आने वाले सूर्य की किरणों को अवशोषित कर लेता है इस धुंवे का मुख्य घटक काला कार्बन है और काली प्रकृति के कारण या तापमान का अवशोषण ज्यादा करता है|
- इसके अलावा पर्यावरण का सबसे बड़ा खतरा रासायनिक उर्वरक व जहरीले कचरे से है|
- आजकल प्लास्टिक कचरा, धातु कचरा, लेड बैटरी कचरा, बेकार धातु व टिन प्लेट का कचरा राख व भस्मीकरण अवशेष कचरा आदि किस्म किस्म की खतरनाक कचरे का निस्तारण करना बड़ी समस्या बना हुआ है|
- रसायनिक चमत्कार कहा जाने वाला पदार्थ क्लोरोफ्लोरोकार्बन सबसे घातक सिद्ध हुआ है अनुमान है कि इससे लगभग 3% ओजोन क्षरण हो चुका है यही वायुमंडल के तापमान में पृथ्वी का एक कारण है|
ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान
वैज्ञानिकों का मानना है कि विश्व तापमान में वृद्धि के कहर से पृथ्वी की जलवायु परिवर्तन होगी जिसके तहत वर्षा में कमी आएगी वर्षा की कमी का प्रत्यक्ष प्रभाव कृषि पर पड़ेगा तथा सूखे की स्थिति उत्पन्न होगी | तापमान वृद्धि तथा वर्षा की कमी के कारण वन क्षेत्र तेजी से घटेगा जिससे जैव विविधता का भी ह्रास होगा भूमंडल के गर्म हो जाने से नजदीकी और दूरगामी दोनों प्रभाव मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए घातक होंगे|
- नजदीकी प्रभाव में ताप वृद्धि के कारण मृत्यु, सूखा, तूफान, बाढ़ एवं पर्यावरण अवनयन प्रमुख है |
- दूरगामी प्रभाव में संक्रमण एवं संबंधित रोग, खाद्य समस्या, अकाल तथा जैव विविधता को खतरा उत्पन्न होगा|
ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि पर नियंत्रण योजना
विश्व तापन का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है इसे रोकने के लिए हरित गृह प्रभाव के लिए दोषी गैसों का उत्सर्जन को रोकने की आवश्यकता है इस दिशा में विश्व स्तर पर कई योजनाएं तो बनाई गई है लेकिन उनका सफल क्रियान्वयन नहीं हुआ है और अब तक संतोषप्रद परिणाम प्राप्त नहीं हुए|
- 1992 में रियो शहर में पृथ्वी सम्मेलन में 160 देशों ने विश्व की जलवायु परिवर्तन पर हस्ताक्षर किए तथा दिसंबर 1997 में जापान में हुए क्योटो सम्मेलन में विश्व के कई देशों ने कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करने के लिए सहमत हुए इसमें 160 देशों के अतिरिक्त 311 सरकारी संगठनों ने भाग लिया था|
- सन 2002 में जोहानबेर्ग में इन पूर्व के समझौतों की पुनरावृति मात्र की गई जबकि इस दिशा में कोई प्रभावी निर्णय नहीं लिया गया
वैश्विक ताप वृद्धि पर नियंत्रण
- वैश्विक ताप वृद्धि को नियंत्रण करना अति आवश्यक है इस को नियंत्रण करने के लिए नियम उपाय करने चाहिए भूगर्भीय निर्धन का प्रयोग कम करके तथा ऊर्जा के नए स्रोत जैसे सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा आदि का विकास करके ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम किया जा सकता है|
- जमीन के अधिक से अधिक भाग पर वृक्षारोपण करके वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण कराकर कार्बन डाइऑक्साइड का सांद्रण कम किया जा सकता है|
- खेती में नाइट्रोजन खाद होगा कम से कम प्रयोग करके नाइट्रस ऑक्साइड गैसों के उत्सर्जन में कमी की जा सकती है|
- क्लोरो फ्लोरो कार्बन के स्थानापन्न का विकास करके तापमान कम किया जा सकता है|